Top 100 Best Hindi Font Shayari 2 Lines – Selected Two Lines Hindi Poetry
अपनी नाकामी का इक यह भी सबब है फ़राज़
चीज़ जो मांगते है सबसे जुदा मांगते हैं
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अपने मुक़द्दर का तो मिल ही जायेगा ए खुदा
वो चीज़ अदा कर जो किस्मत में नहीं
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अब उस चिठ्ठी की तरह, सफ़र में है ज़िन्दगी;
जिसे बगैर पता लिखे, रवाना कर दिया गया है!
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अब मिलेंगें तो खूब रुलायेंगें उस संगदिल को फ़राज़
सुना है रोते में उसे लिपट जाने कि आदत है
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अभी आये हैं, बैठे हैं, अभी दामन सम्भाला है
आपकी जाऊँ जाऊँ ने हमारा दम निकाला है
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अभी तलक तो न कुंदन हुए न राख हुए
हम अपनी आग में हर रोज जल के देखते हैं
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आते जाते हर राही से पूछ रहा हूँ बरसों से
नाम हमारा ले कर तुमसे हाल किसने पूछा है
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आंसू उठा लेते हैं मेरे ग़मों का बोझ
ये वो दोस्त हैं जो एहसान जताया नहीं करते
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एहतियातन बुझा सा रहता हूँ
जलता रहता तो राख हो जाता
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कभी कभी यूं ही रो पड़ती हैं ये आंखें
उदास होने का हमेशा कोई सबब नही होता
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कहीं तनहा न कर दे तुझे मनफ़रीद रहने का शौक फ़राज़
जब दिल ढले तो किसी से हाल-ए-दिल कह दिया कर
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कहूँ कुछ उनसे मगर ये खयाल होता है
शिकायतों का नतीजा अक्सर मलाल होता है
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काट कर गैरों की टाँगें ख़ुद लगा लेते हैं लोग…
इस शहर में इस तरह भी कद बढ़ा लेते हैं लोग…!!
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कायम है ज़माने में रिश्वतों के सिलसिले
तुम भी कुछ ले दे के मुझसे मोहब्बत कर लो
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किस कदर हसीन, कितनी शोख, लेकिन बेवफा
मैंने पूछा कौन, वो घबरा के बोले जिंदगी
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कुछ ‘दुश्मन’ में हो जाए तब्दील …. तो बेहतर है
ये तादाद ‘दोस्तों’ की .. हमसे संभाली नहीं जाती
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कुछ देर से सही, मगर समझ लेता हूँ सब दांव पेच उसके
वो बाज़ी जीत लेता है मेरे चालाक होने तक
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कोई जन्नत का तलबगार है, कोई गम से परेशान है
गरज़ सजदा करवाती है, इबादत कौन करता है
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कोई मुझे भी, पत्थर सा दिल ला दो यारों;
आखिर मुझे भी, इंसानो की बस्ती में ही जीना है!
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ख़्वाब, उम्मीद, नशा, सांस, तबस्सुम, आंसू
टूटने वाली किसी शै पे भरोसा न करो
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चंद सिक्कों में बिक जाता है यहाँ ज़मीर इंसान का
कौन कहता है मेरे देश में महंगाई बहुत है
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चलो मर जाते हैं, तुम पर;
बताओ, दफ़न करोगे सीने में?
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चाहते हैं वो हर बार एक नया चाहने वाला,
ए खुदा मुझे रोज़ इक नई सूरत दे दे
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चुभ गया आँख में किसी कांटे की तरह
जब भी किसी ख्वाब को पलकों पे सजाना चाहा
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छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार,
आँखों भर आकाश है बाहों भर संसार
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जब भी माँगा वही माँगा जो मुक़द्दर में न था
अपनी हर एक तमन्ना से शिकायत है मुझे !!
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ज़िंदगी जिस को तेरा प्यार मिला वो जाने…
हम तो नाकाम रहे चाहने वालों की तरह
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जुड़ने पे आये तो टूटा दिल भी जुड जाता है
ऐतबार वो शीशा है, जो कभी टूट के नहीं जुड़ता
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झट से बदल दूं इतनी, हैसियत न आदत है मेरी;
लोग हों या लिबास, मैं बरसों चलाता हूं!
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टुकड़े को एक कांच के कब तक बचाएं
वो दिल कहाँ से लाएं, जो टूटता न हो
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तुमको खबर हुई न ही ज़माना समझ सका
हम तुम पे चुपके चुपके कईं बार मर गये
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तुम्हें गैरों से कब फुरसत, हम अपने गम से कब खाली,
चलो बस हो चुका मिलना, न तुम खाली, न हम खाली।
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तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी का ये आलम है के
सुबह के ग़म शाम को पुराने हो जाते है
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तेरी तलब में रहता है आसमां पे दिमाग
तुझको पा गये होते तो जाने कहाँ होते
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तेरी महफिल से निकले, किसी को खबर तक न हुई फराज़
तेरा मुड़ मुड़ के देखना, हमें बदनाम कर गया
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दवा की तरह खाते जाईयें गाली बुजुर्गों की,
जो अच्छे फल है उनका ज़ायका अच्छा नहीं होता
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दिखावे की मोहब्बत का, बाज़ार चलता है यहाँ;
सच्चे एहसास, रोज खुदखुशी करते है!
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दिल का झुकना बहुत ज़रूरी है
सर झुकाने से रब नहीं मिलता
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दिल तेज़ धड़कने का कोई राज़ नहीं था
इक ख्वाब ही टूटा था कोई ताज नहीं था
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दिल दे तो इस मिजाज़ का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी को खुशी में गुज़ार दे
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दिल में आता है तुझे टूट कर चाहूँ जाना
छोड़ दूँ फिर तुझे प्यार में पागल कर के
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दुआ करो के सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये एक चिराग कईं आंधियों पे भारी है
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दुख ये है के तू सच सुनने का आदि नहीं वरना
ये उम्र तुझे ख्वाब दिखाने की नहीं है
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दुनिया करती रही तेरे वजूद को तलाश
हमने तेरे ख़याल को मोहब्बत बना लिया
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दो चार नहीं मुझको फक़त एक ही दिखा दो
वो शक्स जो अंदर से भी बाहर की तरह हो
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न छेड़ किस्सा-ऐ-उल्फत. बड़ी लम्बी कहानी है,
मैं ज़माने से नहीं हारा. किसी की बात मानी है…!!
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ना तार्रूफ ना ताल्लुक है, मगर दिल अक्सर
नाम सुनता है तुम्हारा उछल पड़ता है
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पहले जैसे रंग नही है जीवन की रंगोली मे….!!
न जाने कितना जहर भरा है अब लोगो की बोली मे…..!!
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पूछा न जिंदगी में किसी ने भी दिल का दुःख
शहर भर में ज़िक्र मेरी ख़ुदकुशी का है ।
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फिर उस के बाद ज़माने ने मुझे रौंद दिया
मैं गिर पड़ा था किसी और को उठाते हुए
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बड़ी मुश्किल से कल रात मैने सुलाया खुद को
इन आंखो को तेरे ख्वाब का लालच दे कर
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बर्ताव दोस्ती के हद से निकल गये हैं,
या तुम बदल गये हो या हम बदल गये हैं।
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बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ए ज़िन्दगी हम दूर से पहचान लेते हैं
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बहुत से नामों का हजूम सही दिल के आस पास
दिल फिर भी एक ही नाम पे धड़कता ज़रूर है
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बुझते हैं तो बुझ जाए कोई गम नहीं करते
हम अपने चारागो की लौ को कम नहीं करते
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बेसबब यूं ही सर-ए-शाम निकल आते हैं
हम बुलाये तो उन्हें काम निकल आते हैं
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भरी दुनिया में ग़मज़दा रहो या शाद रहो,
कुछ ऐसा करके चलो यहां कि बहुत याद रहो
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मन खुश है,तो एक बूँद भी बरसात है..
दुखी मन के आगे,समंदर की भी क्या औकात है.!!
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मसला ये भी है, इस जालिम दुनिया का;
कोई अगर अच्छा है, तो वो अच्छा क्यूँ है!
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मुझे लिख लिख कर महफूज़ कर लो
मैं तुम्हारी बातों से निकलता जा रहा हूँ
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मुद्दत के बाद उसने जो आवाज दी मुझे,
कदमों की क्या बिसात थी,सांसे ठहर गयी ।
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मुद्दतों बाद ये दस्तक कैसी ?
हो न हो कोई मतलबी होगा
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मुसीबतों से उभरती है शक्सियत यारो
जो पत्थरों से न उलझे वो आइना क्या है
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मेरे अंदर, खुद को भर दे;
मुझको मुझसे, खाली कर दे!
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मेरे काम का है, न दुनिया के काम का
अरे दिल ही तुम्हें खुदा ने दिया दस ग्राम का
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मेरे ही हाथों पे लिखी है तक़दीर मेरी फ़राज़
और मेरी ही तक़दीर पे मेरा बस नही चलता
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मै अपनी दोस्ती को शहर मे रुसवा नही करता
मोहब्बत मै भी करता हूँ मगर चर्चा नही करता
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मैं एक खिलौना हूँ, और वो उस बच्चे की मानिंद
जिसे प्यार तो है मुझसे, मगर सिर्फ़ खेलने की हद तक
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मैं खुदा की नज़रों में भी गुनाहगार होता हूँ फ़राज़
के जब सजदों में भी वो शक्स मुझे याद आता है
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मैं जब भी उसके खयालों में खो सा जाता हूँ
वो खुद भी बात करे तो बुरा लगे है मुझे
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मैं पट्रीयों की तरहा ज़मी पर पड़ा रहा
सीने से गम गुज़रते रहे रेल की तरह
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मोहब्बत के बाद मोहब्बत मुमकिन है फ़राज़
टूट कर चाहना सिर्फ़ एक बार होता है
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मौत तो मुफ्त में ही बदनाम है,
जान तो कमबख्त जिंदगी लेती है
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यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया ….
के तेरे अपने ही बहुत हैं तुझे रुलाने के लिए…
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या तो हमें मुकम्मल, चालाकियां सिखाई जाएं;
नहीं तो मासूमों की, अलग बस्तियां बसाई जाएं!
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यूँ ही इसे लोग मोहब्बत समझ बैठे फ़राज़
वो शक्स मुझे जान से प्यारा है और बस
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ये आइना है, सबके मुंह पे सच्ची बात कहता है;
निगाहें फेर लो, तुमको अगर अच्छा नहीं लगता!
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ये जहाँ मुझको जीने ही कहां देता है
चोट होती है जहां चोट वहीं देता है
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रंज की जब, गुफ्तगू होने लगी;
आप से तुम, तुम से तू होने लगी!
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रुतबा तो, ख़ामोशीयों का होता है जनाब;
अलफ़ाज़ तो बदल जाते हैं, लोग देखकर!
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रूठ जाने की अदा हमको भी आती है
काश कोई होता हमको भी मनाने वाला
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रूह में कोई ग़म है पोशिदा
ज़िन्दगी बेसबब उदास नहीं
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लोग सर फोड़ कर भी, देख चुके;
ग़म की दीवार, टूटती ही नहीं!
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वो कौन है जिन्हें तौबा की मिल गयी फुरसत
हमें गुनाह भी करने को ज़िन्दगी कम है
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वो भी शायद रो पड़े वीरान कागज़ देख कर
मैं ने उन को आख़िरी ख़त में लिखा कुछ भी नहीं
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सब की पूजा एक सी, क्या मन्दिर क्या पीर
जिस दिन सोया देर तक, भूखा रहा फ़कीर
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सारा शहर उसके जनाज़े में था शरीक
मर गया जो शक्स तनहाईयों के खौफ़ से
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सिमटते जा रहे हैं दिल और ज़ज्बात के रिश्ते,
सौदा करने में जो माहिर है बस वही कामयाब है…
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सूखे होंटों पे ही होती हैं मीठी बातें
प्यास जब बुझ जाये तो लहज़े बदल जाते हैं
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सौ बार मरना चाहा निगाहों में डूब कर
वो निगाहें झुका लेती है, हमें मरने नहीं देती
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हज़ार निगाहों से गुजरी मगर कोई पढ़ न सका
जिंदगी भर खुली रही किताब-ए-जिंदगी मेरी
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हज़ार महफ़िल हो… लाख मेले हों …
पर जब तक खुद से न मिलो अकेले हो..
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हम जा रहे हैं वहाँ, जहाँ दिल की कदर हो
बैठे रहो तुम अपनी अदाएं लिए हुए
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हम न भी रहे तो हमारी यादें वफा करेंगी तुमसे
ये न समझना के तुम्हें चाहा था बस जीने के लिये
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हम मोहब्बत की इंतहां कर दें
हां मगर इब्तिदा करे कोई
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हमें कोई तुम सा मिल जाये ये नामुमकिन सही
तुम्हें भी हम सा मिल जाये, बड़ा मुश्किल सा लगता है
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हर वक़्त ज़िन्दगी से गीले शिकवे ठीक नहीं,
कभी तो छोड़ दो इस कश्ती को लहरो के सहारे ।
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हसरत पहले हुआ करती थी उनके वस्ल की हमको
इश्क का दर्जा बढ़ गया है अब बस दीदार की चाह है
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हुआ यूँ, हाथ से बाज़ी निकल गई इक रोज़;
हमारे हिस्से में, फिर मात भी नहीं आई!
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हो ताल्लुक तो रूह से हो,
दिल तो अक्सर भर भी सकता है
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