Shayari Ghazal In Hindi – कैसे मैं यादों का
कैसे मैं यादों का सिलसिला हो जाऊं,
तू है साथ तो कैसे तनहा हो जाऊं .
मुझको छू तू बचपन वाले हाथों से,
शायद मैं फिर वही खिलौना हो जाऊं.
अगर तू मुझको फिर से पढ़ने आए तो,
ख़ुद को खोलूं और मदरसा हो जाऊं .
फितरत से मैं भरा हुआ पैमाना हूँ,
तू छूले तो और नशीला हो जाऊं .
मेरे आगे अपना चेहरा ला तो सही,
पत्थर हूँ मैं मगर आईना हो जाऊं.
क़तरा हूँ मैं ये भी तूने सही कहा,
मगर तू मिल जाए तो दरिया हो जाऊं.
अपनी किसी दुआ में शामिल कर मुझको,
फिर ये देख की कैसे तेरा हो जाऊं.