Hindi Poetry In 4 Lines – यद्यपि शठतायुक्त

यद्यपि शठतायुक्त सबलता है उत्पाती
पर निर्बलता सदा सैंकड़ों दु:ख है लाती
शत्रु किसी के लिए नहीं है उतना घातक
जितना उसका आत्मघोर निर्बलता पातक। (मैथिलीशरण गुप्त)