Hindi Poetry In 4 Lines – मौहब्बत सोज भी है

मौहब्बत सोज भी है……
मौहब्बत सोज भी है, साज भी है
खामोशी भी है, ये आवाज भी है
नशेमन के लिए बेकार तायर
वहां पाबंदी ए परवाज भी है। (अर्श ’मल्सियानी’)