Hindi Poetry In 2 Lines – वो शामे वस्ल

वो शामे-वस्ल(मिलन की रात) दुश्मन ज़ुल्फ़ सुलझायें हैं रुक रुक कर
उन्हें याद आ गई क्या गुत्थियाँ मेरे मुकद्दर की।