Hindi Ghazal Lyrics – शाम है दर्द है
शाम है, दर्द है, हम हैं और तनहाई
ज़िन्दगी टूटा हुआ क्रम है और तनहाई।
कहने को लोग हैं, खुशियाँ हैं तमन्नाएँ हैं
न कोई दोस्त न हमदम है और तनहाई।
कोई आता है, आ रहा है, आएगा शायद
खूबसूरत या हमें भ्रम है और तनहाई।
उनके मिलते ही कोई बिछड़ने की बात करो
रात है, घिरता हुआ तम है और तनहाई।
क्या करें किस को पुकारें और कहाँ जाएँ हम
आंख हर इक यहाँ नम है और तनहाई।