Hindi Ghazal Lyrics – दिल में मीठा सा
दिल में मीठा-सा कोई दर्द हुआ है शायद
मैं समझता हूँ, ये आगाजे वफ़ा है शायद।
तेरी नज़रों की शरमसारी बताती है मुझे
तेरे होंठों में मेरा नाम दबा है शायद।
देखकर भी मुझे अनजान बना रहना तेरा
सोचता हूँ तेरी इक ये भी अदा है शायद।
जाम होंठों से लगाकर ही नया आता है
ये तेरी शरबती आँखों का नशा है शायद।
बेतरहा दिल के धड़कनें से गुमा होता है
तूने मुझको अभी नज़रों से छुआ है शायद।
चाहकर भी नहीं कह पाता ज़ुबां से कुछ भी
सोचता हूँ यही इज़हारे वफ़ा है शायद।
ऐसा लगता है कोई पैर पकड़ लेता हो
तेरी खामोश निगाहों की सदा है शायद। (ज़हीर कुरेशी)