Hindi Ghazal Lyrics – जो निकट इतनी

जो निकट इतनी, वही है, हाय कितनी दूर……..
जब नयन मैं मूँदती वह छवि, दिखा मुझको लुभाती
जब बढ़ता हाथ, तब कभी, कुछ नहीं है भय आता है।
धूल में मिलते, अचानक स्वप्न होकर चूर॥
जो निकट इतनी, वही है, हाय कितनी दूर…
पालने में श्वास के हर घड़ी झूला झुलाई
क्यों नहीं वह मेरा प्रेम पहचान पाई
मैं उसी को देखने को मज़बूर॥
जो निकट इतनी, वही है, हाय कितनी दूर…..