Hindi Ghazal Lyrics – एक आह सी उठती

एक आह -सी उठती है मेरे दिल में
दर्द बिछुड़ने का भी है मेरे ज़िगर में
याद तेरी हो कैसे मुझसे ज़ुदा
आंसू कभी बहाती हूँ तुझे याद कर मैं।
हर रात दुनिया तो सोती नींद में
लेकिन रोती हूँ सारी रात भर मैं।
तेरे होंठों के इस शबाब की कसम
दु:ख का गहरा समुद्र है मेरे ज़िगर में
लेकिन मेरे आंसुओं का
गल्त नज़र से मत देखो
मेरी खुशी है तेरी खुशी के हर पल में।
ज़िन्दगी की शाम का क्या पता?
लेकिन मंज़िल पा लूंगा तुझे भूलकर मैं।