Best 4 Lines Shayari – मंजिल भी नहीं
मंजिल भी नहीं ठिकाना भी नहीं
वापस मुझे घर जाना भी नहीं
मैंने ही सिखाया था उसे तीर चलाना
अब मेरे सिवा उसका कोई निशाना भी नहीं
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