Ahmad Faraz Shayari – वक़्त ए नज़ा है

वक़्त-ए-नज़ा है, इस कशमकश में हूँ की जान किसको दूं फ़राज़
वो भी आए बैठे हैं और मौत भी आई बैठी है

* वक़्त-ए-नज़ा = तमाशे का समय