हिंदी शायरी ४ लाइन – जब हंसने हंसाने

जब हंसने हंसाने के दिन थे
हम आठ पहर रोते ही रहे ।
अब वक्त जो आया रोने का
हम अश्क बहाना भूल गए । (वामिक जौनपुरी)