शायरी ४ लाइन में – आज सहसा मुझे उस

आज सहसा मुझे उस दिन की घड़ी याद आई
स्वप्न-सी झूमती सावन की झड़ी याद आई
बैठकर हमने जिसे साथ-साथ गाया था
आज उस गीत की भूली-सी कड़ी याद आती है।