नज़रों से बुलाए तो क्या करे कोई।
यूँ प्यार जताए तो क्या करे कोई॥
गम में डूबे हुए बेताब दिल को।
अगर चैन न आए तो क्या करे कोई॥
सूरत यार की तसव्वर में नज़र आए।
यूँ जलवा दिखाए तो क्या करे कोई॥
कसम खुदा की मैं काबिल नहीं हूँ।
ईवस इल्ज़ाम लगाए तो क्या करे कोई॥
दिल ललचाए नज़र शरमाए पास न आए।
दूर ही से बुलाए तो क्या करे कोई॥
दिल तो कहता है कि मैं प्यार करुँ।
मुहब्बत रास न आए तो क्या करे कोई॥
तमन्ना हो, जीने की बकाया ज़िन्दगी भी हो।
मौत कफ़न दिखाए तो क्या करे कोई॥ (महिन्दर, होशियार पुरी)
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